पिरामिड के एक बाजू को बराबर चुम्बकीय उत्तर दिशा में रखा जाए तो वातावरण में स्थित ब्रह्माण्ड की शक्तियाँ पिरामिड के शिखर के रास्ते अंदर प्रवेश करती हैं और ये अंदर ही अंदर बिलोती रहती हैं, तत्पश्चात् बाहर निकलती हैं।
3.
भवन या भूखण्ड का उत्तर, चुम्बकीय उत्तर से 22.5◦ से कम घूमा होने से ऐसे भवन या भूखण्ड को दिशा में ही माना जाता है जबकि 22.5◦ या उससे अधिक घूमा हुआ हो तो उसे विदिशा या तिर्यक दिशा का भूखण्ड या भवन कहा जाता है।